मध्यप्रदेश : अब साल में दो बार होगी दसवीं व 12वीं बोर्ड की परीक्षा

मध्यप्रदेश सकूल शिक्षा विभाग ने माध्यममिक शिक्षा मंडल विनियम-1965 में संशोधन के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसके लिए अगले 15 दिनों में जिसको आपत्ति है, वह अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकता है। इसके अलावा बोर्ड ने सुझाव भी मांगे हैं ताकि इस संशोधन को उसके बाद अंतिम रुप दिया जा सके। नई व्यवस्थाओं को एक अप्रैल से शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र से ही लागू कर दिया जाएगा। नई व्यवस्थाओं में पूरक परीक्षाओं को भी खत्म किया जाएगा।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में शिक्षा विभाग ने शिक्षा में सुधार के लिए यह बड़ा फैसला लिया है। नए संशोधन लागू होने के बाद पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में ली जाएंगी, उसके बाद दूसरी परीक्षा जुलाई-अगस्त में ली जाएंगी।
दोनों परीक्षाओं के अंक के आधार पर होगा परिणाम
शिक्षा विभाग ने नए आदेशों में साफ कहा है कि पहली तथा दूसरी परीक्षा के अंकों को जोड़कर अंतिम परीक्षा परिणाम घोषित किया जाएगा। अब तक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल यानी की सीबीएसई ने अगले शैक्षणिक सत्र से दसवीं व 12वीं में इसी प्रकार का नियम बना दिया है। इसी तर्ज पर मध्यप्रदेश शिक्षा बोर्ड ने भी अपना नियम बदलने का काम शुरू कर दिया है। अब तक मध्यप्रदेश शिक्षा बोर्ड केवल एक बार ही फरवरी-मार्च में परीक्षाएं लेता है। प्रति वर्ष 18 लाख के आसपास विद्यार्थी इन परीक्षाओं में बैठते हैं। इसके बाद बोर्ड परीक्षा परिणाम घोषित करता था। इसके अलावा जुलाई महीने में पूरक परीक्षाएं आयोजित की जाती थी। अब नई व्यवस्था में पूरक परीक्षाओं को खत्म कर दिया गया है।
पहली परीक्षा के बाद लेनी होगी अनुमति
पहली परीक्षा के बाद दूसरी परीक्षा होगी। दूसरी परीक्षा में बैठने के लिए विद्यार्थियों को संबंधित मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों, स्कूलों के प्राचार्यों से अनुमति प्राप्त करनी होगी। इसके बाद ही विद्यार्थी अगली परीक्षा में बैठ सकेंगे। दोनों परीक्षाओं का परिणाम मिलाकर अंतिम परिणाम या अंकों की कुल घोषणा की जाएगी। इसके अलावा यदि कोई विद्यार्थी प्रथम परीक्षा परिणाम में एक या दो विषयों में अनुपस्थित रहता है या फिर फेल हो जाता है, वह भी दूसरी परीक्षा में शामिल हो सकेगा।